लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
नमस्कार सखी।
कैसी हो।आज बात करते है हमारी याद 1 अप्रैल 2022की है।तुम तो जानती हो मै तुम से अपने दिल का सभी हाल कह देती हूं।अपना सुख अपना दुःख सभी।तभी तो तुम्हें सखी माना है । मुझे याद है उस दिन हिन्दू नववर्ष था और मैंने तुम्हें बधाई दी थी। हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं सखी।
अब तुम कहोगी कि अप्रैल फूल नही कहा।नही बाबा।ये अंग्रेजियत हमसे नही झड़ती है।मै और मंचों पर लिखती हूं सब अप्रैल फूल पर लिख रहे है ।पर ये हमारी संस्कृति नही है। मुझे एक बात जेहन मे आ रही है।जिस कारण मै ना तो किसी का अप्रैल फूल नही मनाती और कोई मेरा बनाता है तो मुझे गुस्सा आता है। बात मेरे मायके की है ।हमारे कुनबे दारी मे मेरे ताऊजी लगते है उनका बेटा बहू घूमने गये हुए थे शिमला।जब वे वापस लौट रहे थे तो बहू और बेटे मे शर्त लग गयी कि मुझसे ज्यादा तुम्हें कोई प्यार नही करता।नयी नयी बहू थी अपना हक पति पर ज्यादा रखती थी।बेटे ने ये दिखाते हुए घर फोन कर दिया कि मेरी मां मुझे सब से ज्यादा प्यार करती है।फोन मे कहा,"मां हमारा एक्सीडेंट हो गया ।"यह कह कर फोन काट दिया ।और उसके पांच मिनट बाद फोन किया कि देखूं मां कितनी चिंता करेंगी और कह दिया ,"अप्रैल फूल बनाया है।"उधर से उसके पापा ने फोन उठाया और बोले,"तू अप्रैल फूल बनाता रह तेरी मां तो परलोक सिधार गयी।"जब लड़के को पता चला तो वह पागलों की तरह रोते हुए गाड़ी भगाते हुए अपने शहर आ रहा था कि रास्ते मे सही मे एक्सीडेंट हो गया ।बेटा बहू आन द स्पोट्र्स मर गया।बताओ सखी ऐसा अप्रैल फूल भी किस काम का अब अलविदा।
Pratikhya Priyadarshini
30-Nov-2022 11:25 PM
Bahut sundar 💐
Reply
Vedshree
30-Nov-2022 08:41 PM
Very nice
Reply
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
30-Nov-2022 06:28 PM
👏👌🙏🏻
Reply